Tuesday, January 24, 2012

मेनका गांधी ने एमपी के वन मंत्री को हटाने की मांग की-

भोपाल।। मध्य प्रदेश में वन क्षेत्रों में जंगली सुअर और नीलगाय के शिकार की अनुमति देने के लिए नियमों में संशोधन का मामला तूल पकड़ता जा रहा है और पूर्व केन्द्रीय मंत्री मेनका गांधी ने प्रदेश के वन मंत्री सरताज सिंह को मंत्रिमंडल से निकालने की मांग की है।

प्रदेश में फसलों को नष्ट किए जाने को लेकर नील गाय तथा जंगली सुअर के शिकार के लिए नियमों में संशोधन का प्रस्ताव वन विभाग ने सरकार के पास भेजा है।

पूर्व केन्द्रीय मंत्री और जानवरों के अधिकारों को लेकर कार्य करने वाली मेनका गांधी ने राज्य सरकार के इस फैसले का कड़ा विरोध करते हुए वन मंत्री को तत्काल मंत्रिमंडल से निकालने की मांग की। मेनका गांधी ने कहा कि वह इस मामले को बीजेपी आलाकमान के सामने भी उठाएंगी।

मेनका गांधी का मानना है कि राज्य सरकार द्वारा यह फैसला किसानों के हित में नहीं लिया गया है बल्कि इस फैसले का फायदा वे निजी फॉरेस्ट लॉज ऑपरेटर उठायेंगे जिनके ग्राहक मिडल ईस्ट तथा अन्य देशों में फैले हुए हैं। उन्होंने कहा कि वन मंत्री द्वारा इन्हीं टूर ऑपरेटरों
के दबाव में यह फैसला किया गया है।

मेनका गांधी ने कहा कि देश में वन्य जीवों की संख्या पहले ही कम हो रही है और एमपी सरकार के इस फैसले से उनकी संख्या में और कमी ही आयेगी। उन्होंने कहा कि उन्होंने अपने जीवन में कभी जंगली सुअर को नहीं देखा है और ऐसे में यह कहकर उनके शिकार की अनुमति दिए जाने का कोई औचित्य नहीं है कि उनकी संख्या में बढ़ोतरी हो रही है और वे फसल नष्ट करने के दोषी हैं।

उन्होंने कहा कि जब एक शिकारी को शिकार के लिये वन में जाने की अनुमति दे दी जाएगी तो वन में रहने वाले अन्य जानवरों की क्या गोलियों की आवाजों के बीच शांति भंग नहीं हो जाएगी और क्या और जानवर सुरक्षित रह पायेंगे।

मध्यप्रदेश सरकार के इस फैसले से नाराज मेनका गांधी ने यह सवाल भी उठाया कि वन में रहने वाले जानवर क्या शिकारियों की कार्यवाही से गांव एवं शहरी क्षेत्रों की ओर रुख नहीं करने लगेंगे तथा इस बात की क्या गारंटी है कि नील गाय और जंगली सुअरों के शिकार के दौरान गलती से किसी हाथी या अन्य जानवर की गोली लगने से मृत्यु नहीं होगी।

इस बीच वन मंत्री सरताज सिंह का कहना है कि मध्यप्रदेश में पिछले 12 सालों से इन जानवरों के शिकार पर कोई प्रतिबंध नहीं है लेकिन कडे़ नियमों और प्रावधानों के चलते लोग इन जानवरों का शिकार नहीं कर पाते किसानों की काफी फसल नष्ट होती है।

वन मंत्री ने कहा कि हमने इस संबंध में कानून मंत्रालय को जंगली सुअर और नील गाय के शिकार के नियमों के सरलीकरण का प्रस्ताव भेजा है और यदि प्रस्ताव को अनुमति मिल जाती है तो ही उस पर अमल किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि प्रदेश के किसानों और जनप्रतिनिधियों ने इन जानवरों द्वारा फसलों का नुकसान किए जाने का मामला उठाते हुए सरकार से इस संबंध में कदम उठाने की मांग की थी।

मध्यप्रदेश के प्रमुख मुख्य वन संरक्षक आर.के.दवे ने कहा कि प्रदेश में फसलों को हो रहे नुकसान को देखते हुए अनुविभागीय दंडाधिकारी के आदेश से जंगली सुअर और नीलगाय को मारने का अधिकार वर्ष 2000 से दिया गया है।

दवे ने कहा कि इस मामले में नियम इतने कडे़ हैं कि आज तक कोई भी इन जानवरों को मारने की अनुमति नहीं ले पाया है तथा इसको देखते हुए यह महसूस किया गया कि नियमों का सरलीकरण किया जाए और इस संबंध में प्रस्ताव राज्य सरकार के समक्ष विचाराधीन है। 

http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/11588438.cms

Monday, January 23, 2012

महाकवि गोस्वामी तुलसीदास जी को गणितज्ञ कहा जाना थोडा अटपटा लगना स्वभाविक है लेकिन तुलसीदास के साहित्य में गणित और ज्योतिष का प्रयोग देखकर हमें तुलसीदास को गणितज्ञ तो मानना ही पडेगा । तुलसीदास की प्रसिद्ध रचना ' हनुमान चालिसा ' की पंक्ति - ' जुग सहस्त्र योजन पर भानू ...... ' हमें उनके ज्ञान के बारे में एक नये दृष्टिकोण से सोचने पर विवश करती है , इस पंक्ति में उन्होंने सूर्य को पृथ्वी से युग ( जुग ) सहस्त्र योजन की दूरी पर स्थित बताया हैं । जब इसके आधार पर वैदिक गणित के अनुसार गणना की जाती है तो पृथ्वी से सूर्य की दूरी का सही मान निकल कर आता है । सर्वप्रथम युग , सहस्त्र और योजन इन पदों के मान देखें ।
* युग - साधारणतः युग शब्द चार के अर्थ में प्रयुक्त होता है । किन्तु यहाँ युग तथा उसका मान दिव्य वर्षो एवं सौर वर्षो में क्या होता है साथ ही चार युग अर्थात चतुर्युग का मान वर्षो में कितना है , यह ज्ञात देखेगे ।
सतयुग दिव्य वर्षो में 4800 वर्ष तथा सौर वर्षो में 1728000 वर्ष
त्रेतायुग दिव्य वर्षो में 3600 वर्ष तथा सौर वर्षो में 1296000 वर्ष
द्वापरयुग दिव्य वर्षो में 2400 वर्ष तथा सौर वर्षो में 864000 वर्ष
कलियुग दिव्य वर्षो में 1200 वर्ष तथा सौर वर्षो में 432000 वर्ष ।
चतुर्युग का मान सौर वर्षो में अधिकांश व्यक्ति जानते है किन्तु चतुर्युग का मान दिव्य वर्षो में 12000 है और यह वैदिक काल गणना का एक मुख्य आधार है ।
* सहस्त्र - सहस्त्र अर्थात हजार , गणना करने में सहस्त्र का मान एक हजार रखते है ।
* योजन - 1 योजन = 8 मील , 1 मील = 1.6 कि.मी. ( लगभग )
जब तीन पदों क्रमशः युग , सहस्त्र और योजन का मान रखकर गोस्वामी तुलसीदास द्वारा दिये गये सूत्र से पृथ्वी और सूर्य के बीच की दूरी की गणना की जाती है तो -
युग सहस्त्र योजन पर भानू = 12000x 1000x8 = 9,60,00,000 = 9,60,00,000x1.6 कि.मी. = 15,36,00,000 कि.मी.
पन्द्रह करोड छत्तीस लाख किलोमीटर पृथ्वी से सूर्य की दूरी निकल कर आती है । यह मान गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित ' जुग सहस्त्र योजन पर भानू ...... ' से ज्ञात होता है । वर्तमान की गणना के आधार पर भी हम जानते है कि पृथ्वी की दूरी 150000000 ( पन्द्रह करोड ) किलोमीटर लगभग है । यह सुखद आश्चर्य है कि गोस्वामी तुलसीदास द्वारा दिया गया पृथ्वी से सूर्य की दूरी का मान , वर्तमान गणना के लगभग निकट है । अब तो मानना ही पडेगा कि गोस्वामी तुलसीदास महान गणितज्ञ भी थे ।